Afleveringen
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इस संसार में जो भी घटित होता है, उसका अंत होना निश्चित है। कोई भी प्राणी, समय में वापिस जा कर अपनी भूल को सुधार नहीं सकता, किन्तु वर्तमान में एक नए आरंभ को सुनिश्चित कर, अपने अंत को सफल बना सकता है। क्यूँकि अंत ही, एक नया आरंभ है।
सुनिए “कहानी रावण की”
Created by Bhopuwala.
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एक प्राणी अपने जीवन में सबसे बड़ी भूल तब करता है, जब वो अपनी की हुई भूल को स्वीकार नहीं करता। और समय इतना बलवान होता है कि वो आप की भूल का आभास, आप को करा ही देता है। तब अगर कुछ शेष रह जाता है, तो वो है, पश्चाताप।
सुनिए “कहानी रावण की”
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Zijn er afleveringen die ontbreken?
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इस संसार में धनुष से निकला बाण और वाणी से निकले शब्द, कभी लौट कर वापिस नहीं आते। और कभी कभी “विजयी भव” का आशीर्वाद भी, स्वयं के विनाश का मुख्य कारण बन जाता है।
सुनिए “कहानी रावण की”
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मनुष्य के जीवन में उसकी हार का कारण उसके शत्रु कदापि नहीं होते, अपितु हार तो तब होती है जब आप के अपने ही, आप की पीठ में धोके से वार करते हैं।
सुनिए “कहानी रावण की”
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इस मतलबी और निर्दयी संसार में आप का आदर और सम्मान तब तक नहीं होगा, जब तक आप इनके आगे अपना शीश झुकाए खड़े रहेंगे, इसीलिए युगों युगों से अपनी प्रशंसा की अभिलाषा रखने वाले प्रत्येक प्राणी ने इस आदर सम्मान को, अपने बल और शक्तियों से ही इस संसार से छीना है।
सुनिए “कहानी रावण की”
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जीवन में किसी भी प्राणी को अपने तन, धन और भाग्य पर कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। अहंकार की सबसे अच्छी और सबसे बुरी बात यह है कि यह कभी आप को इस बात का आभास नहीं होने देता कि आप, ग़लत भी हो सकते हैं।
सुनिए “कहानी रावण की”
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शक्तियां कभी किसी एक की सदा के लिए नहीं हुई, पृथ्वी पर जब भी किसी बड़ी आपत्ति का आगमन हुआ है, तब तब मानव और जीव कल्याण हेतु, भगवान स्वर्ग से धरती पर आते हैं।
और अब समय निकट आ चुका था, एक और महान अवतार का।
सुनिए “कहानी रावण की”
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इस संसार में कोई भी इस कारण से पराजित नहीं होता, के जीत उसके भाग्य में नहीं होती,
अपितु वो तो इस कारणवश पराजित होता है, क्यूँकि जीवन के प्रत्येक मोड पर उसे प्राप्त होता है तो केवल छल। जिसकी भरपाई हो पाना, युगों युगों तक असंभव था।
सुनिए “कहानी रावण की”
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प्रत्येक अंत एक नयी कहानी का आरंभ है और प्रत्येक आरंभ के पीछे एक कारण अवश्य होता है,
मेरा अंत, मेरे जीवन का केवल एक छोटा सा हिस्सा मात्र है, मेरे जीवन का पूर्ण सत्य नहीं।
इसीलिए मैं आप को सुनाऊँगा यह कहानी, आरंभ से।
सुनिए “कहानी रावण की”
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मैंने जो किया और मुझ संग जो भी हुआ, उसके पीछे के कारणों को जाने बिना कैसे मुझे तुम खलनायक घोषित कर सकते हो, मैं नायक हूँ या खलनायक,
इसका निर्णय तो तुम्हें मेरी कहानी सुन कर ही लेना होगा।
तो सुनिए मेरी कहानी, मेरे अंत से।
आरम्भ करते हैं कहानी रावन की उसके अंत से, रावन दहन से..
“कहानी रावण की”
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जिसकी भुजाओं ने स्वयं कैलाश उठाया है,
तीनों लोकों का प्रत्येक प्राणी भी, जिसके बाहुबल से थर्राया है,
उस जैसा तेजस्वी और ताकतवर योद्धा, संसार में न दूजा है,
अपने शीशों को जिसने काट काट, महाकाल को पूजा है।
यह कहानी है भक्ति, आस्था, छल और अहंकार की..
यह है “कहानी रावण की”
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